रविवार, 16 जनवरी 2022

जीवन का स्पंदन



आज एक बङा-सा लाल गुलाब खिला
सजीले गुलाब की रंगत का क्या कहना 
प्रभात का सूरज पहने नारंगी झबला 
एक-एक पंखुरी का हौले से खिलना

उदय होते बाल सूर्य की स्वर्णिम आभा 
खिलते फूल पर ओस की बूँद का ठहरना 
कच्ची धूप के स्पर्श से इन्द्रधनुष बन जाना 
जीवन के स्पंदन का मधुर राग बन जाना 


22 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-1-22) को "दीप तुम कब तक जलोगे ?" (चर्चा अंक 4313)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. कामिनी जी, अनंत आभार दीप बालने और उसकी ऊष्मा नमस्ते तक पहुँचाने के लिए.
      सविनय धन्यवाद.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 18 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. धन्यवाद, रवीन्द्रजी.
      आनंद के पन्ने से जुड़ कर हमेशा अच्छा लगता है.

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  3. जीवन का संगीत जब प्रकृति में सुनाई दे तो जीवन स्वयं स्पंदित हो जाता है ।

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    1. क्या खूब कहा मोहतरमा !
      मानव भी है प्रकृति का हिस्सा,
      प्राण सूत्र दोनों को जोड़ता.

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  4. बहुत सुन्दर नुपुरं जी.
    बहुत सुन्दर शब्द-चित्र !
    अब अपने घर में भी लाल गुलाब की ऐसी छटा देखने का जतन करना है.

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    1. धन्यवाद, गोपेश जी.
      अपने जतन से खिला एक फूल भी
      ख़ुशी ही नहीं, नया नजरिया भी देता है.
      उत्तम संकल्प है. आप भी फूल खिला कर देखिये.

      गुलाब का रंग न हो फीका !
      गुलाब हो किसी भी रंग का !

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  5. वाह बहुत ही खूबसूरत रचना खूबसूरत गुलाब के माध्यम से

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  6. एक खिलते फूल को देखकर लेखनी काव्यात्मक हो उठी नूपुर जी साथ में उगते सूरज की अरुणिमा।
    सुंदर सृजन।

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  7. जी । ऐसा लगा कि उगते सूरज की लालिमा और गुलाब का लाल रंग एक ही हैं ।
    सह्रदय सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार । नमस्ते ।

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  8. भावप्रवण अभिव्यंजना ।बहुत सुंदर 👌🌹🌹

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    1. आपकी सह्रदय सराहना प्रोत्साहित करती है सदा । धन्यवाद, जिज्ञासा जी । नमस्ते ।

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  9. बहुत सुंदर रचना ,प्रकृति की सुंदरततम प्रवाह हो जैसे

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    1. यह प्रवाह ही जीने की वजह बची है । वर्ना मायूसी का मारा भाव जगत अवरूद्ध रहता है ।
      धन्यवाद, भारती जी ।

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  10. अपने घर में फूलों को खिलते हुए देखना का अपना अलग ही मजा है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, नृपुर दी।

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    1. धन्यवाद, ज्योति जी ।
      आप इतना कुछ रचती रहती हैं, आप इस अहसास को खूब समझती होंगी ।

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