हो रहा है इस बरस का
अंतिम सूर्यास्त ।
कह रहा है अलविदा
ढलते हुए आज ।
वक्त रहते कह डालो
जी में अटकी बात ।
समय बीतने से पहले
सुलझा लो उलझे याम ।
सांझ का पट ढल रहा
सजा रंगों के साज़ ।
क्षितिज सुर साधता
जपता सहस्रनाम ।
यायावर है फिर चल देगा
समय का अल्पविराम ।
कभी तुम्हारे कभी हमारे
राम संवारें सबके काम ।
श्री राम संवारे सबके काज। वाह। क्या कविता रची है। नया साल मुबारक
जवाब देंहटाएं२०२२ उन्नीस ना रहे, २०२१ से.
हटाएंस्नेह सहित आभार, अनमोल सा.
सुंदर भावों और प्रेरक शब्दों की अभिव्यंजना 👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,जिज्ञासाजी.
हटाएंआपने पढ़ा और सराहा.बहुत अच्छा लगा.
कई बार बात अपनी जगह रह जाती है.
सबकी निगाहों से छूट जाती है.
बेहद सुंदर कृति
जवाब देंहटाएंसविनय धन्यवाद,भारती जी.
हटाएंNice Blog. Keep it up.
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Thank you, Biswajit ji.
हटाएंBest wishes for 2022.
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकारजी.
हटाएं२०२२ अच्छा बीते.