शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

फुर्र




जाने कहाँ से
एक रंग-बिरंगी 
चिड़िया छोटी-सी
खिड़की पर आ बैठी ।
जान ना पहचान
बिन बुलाई मेहमान !
पर जान पड़ी
अपनी-सी ।
स्वागत को 
हाथ बढ़ाया ही था ..
कि उड़ गई
फुर्र !


जता गई ..
आनंद की अनुभूति
होती है क्षणिक ।
हृदय के तार
झंकृत कर जाती है,
तरंग जो एक मधुर
रागिनी बन जाती है ।
जिसे वही चिड़िया
किसी दिन
किसी और को सुनाती है ।
अनायास ही,
खिड़की पर बैठी
चहचहाती हुई ।
और फिर वही ..
एक दो तीन
और फुर्र !



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मापदंड



उचट जाता है मन अक्सर 
जीवन की दुविधा ढ़ोते-ढ़ोते ।

बार-बार सोचते-सोचते
फ़ैसले जो लिए थे
बहुत सोच-समझ के
क्या वास्तव में सही थे ?

क्योंकि कई बार
सही का मापदंड
होती है सफलता ।

फिर विवेक है कहता,
यही तो है सुंदरता ।

हर बार संभव नहीं जीतना ।
पर आ गया ना अच्छा खेलना ?


शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

हिंदी की ब्लॉग गली क्यों रहे संकरी ?




हिंदी में बस इतना ही ?

और बस ऐसा ही लेखन उपलब्ध है हिंदी ब्लोग्स पर ?
अंग्रेज़ी ब्लोग्स की तरफ़ देखो ! कितनी विविधता और कितने अच्छे ब्लोग्स हैं !

ऐसी प्रतिक्रिया अक्सर सुनने को मिलेगी . हिंदी ब्लॉग दुनिया के बारे में. इस बात में कुछ तथ्य भी है.
यह तुलना हिंदी और अंग्रेज़ी में लेखन की नहीं पर ब्लॉग संसार में हिंदी ब्लॉग की अवस्था से संबंधित है.
हिंदी में अच्छा लिखने वालों को ब्लॉग संसार में कम पाया जाता है. लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर बहुत सीमित प्रतिभा वाले नज़र आते हैं. जहां तक हिंदी लेखन का सवाल है.

ऐसे में ब्लॉग पर अच्छा साहित्य उपलब्ध करने वालों को प्रोत्साहित करना बहुत आवश्यक और सराहनीय कार्य है. इस पोस्ट को पढने वाले ब्लॉगर अच्छी रचनाओं को सामने लाने के लिए iblogger की नियमित गतिविधियों का अनुसरण करें और इनमें शामिल भी हों. हाल ही में हिंदी ब्लॉगर के लिए ब्लॉगर ऑफ़ द इयर २०१९ प्रतियोगिता का आयोजन किया है.

हिंदी ब्लॉगर को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित इस प्रतियोगिता की प्रविष्टियों को पढना रोचक होगा.

इसी प्लेटफार्म पर www.experienceofindianlife.com की पोस्ट्स बहुत दिलचस्प लगीं.
सुश्री अभिलाषा चौहान का यह ब्लॉग भारतीय जीवन शैली के परिप्रेक्ष्य से मन के भावों को और जीवन के अनुभवों को सहज भाव से विश्लेषण करते हुए कविता, कहानी, लेख के माध्यम से अभिव्यक्त करता है. शीर्ष स्थान का दावेदार है.

 Experience Of Indian Life

पढ़िए. प्रोत्साहन मिलेगा तो हिंदी ब्लॉग जगत समृद्ध होगा. सशक्त रचनाओं से.
प्रतिभागिता सबसे बड़ा प्रोत्साहन होगा. स्वागत है. नमस्ते. 

सोमवार, 21 जनवरी 2019

इस दिन का नेग




सूरज सुबह सुबह
चढ़ कर
जा बैठा है
आकाश की मुंडेर पर ।

रात की ओस से
भीजे बादल
डाल दिए हैं
अलगनी पर
एक तरफ़
सूखने के लिए ।

पंछी निकले हैं
प्रभात फेरी के लिए ।

किरणों की वंदनवार
झिलमिला रही है,
धरती के इस छोर से
उस छोर तक ।

हर रोज़ की तरह
ज़िंदगी ने
खोल दी है
अपनी दुकान ।

मेहनत करो
और जीतो
सुकून का ईनाम ।

एक नया दिन
सीना ताने
तैयार है,
ड्यूटी पर
जाने के लिए ।

और तुम्हें साथ
ले जाने के लिए ।

क्योंकि सूरज
बुला रहा है तुम्हें
कब से ।

चलो चलें ।
इस दिन का नेग
जुटाने के लिए ।


            """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

पहली बार ऐसा हुआ। 
एक युवा पाठक ने 
इतने मन से 
पढ़ी यह बात। 
ऊपर जुड़ी water colour पेंटिंग बना डाली। 
देखिए क्या खूब मिला !
सबसे निराला !
इस दिन का नेग !!
Anmol Mathur नन्हे पाठक का 
तहे-दिल से शुक्रिया !


बुधवार, 16 जनवरी 2019

पतंगबाज़ी


पतंगों भरा खुला आसमान
जैसन खेल का बड़ा मैदान !
नटखट बच्चों-सी सरपट पतंगें
पतंगों से ऊँची उनकी उमंगें !

काली पतंग आगे बढ़ी
पीली झटपट लड़ मरी !
सतरंगी बड़ी नकचढ़ी
तिरंगी उस पर हँस पड़ी !

बैंगनी इठला के उड़ी
भूरी को महँगी पड़ी !
गुलाबी ने पींग भरी
चितकबरी झूल गयी !

दूधिया सरपट दौड़ी
लहरिया लो पिछड़ गई !
नारंगी तो मचल गई
आसमानी झूम चली !

पतंगों की देख अठखेली
सूरज को सूझी ठिठोली,
धूप की दे थपकी गुनगुनी
ठंडी तेज़ हवा चला दी !

पतंगों भरा खुला आसमान
जैसन खेल का बड़ा मैदान !
नटखट बच्चों-सी सरपट पतंगें
पतंगों से ऊँची उनकी उमंगें !

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

देर मत करना




देर मत करना ।
बार-बार नहीं देता
यह जीवन मौक़ा
कुछ अच्छा करने का ।

समय नहीं होगा
जब अवसर होगा ।
जब समय होगा
अवसर नहीं होगा ।

ऐसे ही क्रम चलेगा ।
लुकाछिपी खेलेगा
और समय बीत जाएगा ।
पता भी ना चलेगा ।

नित नए भेस धरेगा ।
पैंतरा भी बदलेगा ।
भुलावे में रखेगा ।
समय छलता रहेगा ।

चक्रव्यूह से बचना ।
तुम्हें पड़ेगा सीखना ।
यदि चाहो सच करना
अपना सुंदर सपना ।

अवसर तुम स्वयं रचना ।
संभावना को संभव करना ।
पहला अक्षर तुम लिखना ।
बारहखड़ी पूरी समय करेगा ।

अब देर मत करना ।
बार-बार नहीं देता
यह जीवन मौक़ा
कुछ अच्छा करने का ।