मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

जो जाग रहा होगा


सारा जग जाग रहा 

ताक रहा ठगा सा,

रजत रुप चंद्रमा का

शरद पूर्णिमा का !


आएंगी लक्ष्मी माँ

कलश लिए अपना,

चंद्रकिरण ज्योत्सना

कर रही उपासना ।


माँ के पदचिन्ह का

दरस यदि हो पाना

शुभ अल्पना आंकना

मंगल दीप बालना ।


जो जागता होगा

जाग्रत जिसकी चेतना,

अमृत आस्वादन वरेगा

वही श्री संपन्न होगा ।



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