अचल रहा है जोशताब्दियों तक,मौन साक्षी रहा है,परिवर्तन के बीच,प्रतिघात में अविचल,अडिग खङा रहा है,सुनाने युगों का वृतांत,साक्षात प्रमाण जोअब तक बचा है..वह प्राचीन स्थापत्य,कला और परंपरा,संस्कृति और दर्शन,वृक्ष और नदियाँ,भाषा और बोलियाँ..जो अब तक टिका है,उसके पास अब भीकहने और देने कोबहुत कुछ शेष है ..हमारी धरोहर है ।बूँद-बूँद घट में संचितमिट्टी में अमिट छापजिसकी, चेतना में व्याप्तविचारों की अविरल धारासींचती रहे मानस धरा~~अतऐव संजो कर रखनी हैअपनी यह अकूत संपदा,घटानी नहीं, जोङनी है ।शाश्वत मूल्यों से गढ़े शिल्प,हमें धारण करने हैं सहजसभ्यता के शिलालेख ।÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷
शिल्प छवि साभार : श्री रंगनाथ मंदिर, वृंदावन ।
शनिवार, 19 अप्रैल 2025
धरोहर
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बहुत ही सुंदर हमारी धरोहर हमारे पूर्वजों का आशीष है ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 20 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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