रास्तों पर आसपास
फूलने लगे हैं अमलतास ।
रास्ते हो जाते हैं आसान।
देख कर सुनहरी झालर ।
पैदल चलने वाले लोग
पसीना पोंछते एक ओर
ठहर कर ढूँढते हैं जब छाँव,
हिला कर हाथ बुलाता है पास
झूमर जैसा अमलतास !
उतर आता है ज़मीं पर
उस पल स्वर्ग से नंदनवन !
तपती धूप का चंदन
सुनहरा अमलतास !
दिलाता याद, जगाता आस !
अभी तो है दूर बहुत मुकाम
पर मुश्किल रास्तों की राहत
फिर मिलेगा झूमता अमलतास !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर मंगलवार 15 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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नमस्ते रवींद्र जी। आज के गुलदस्ते में शामिल करने के लिए तहे-दिल से शुक्रिया ।
हटाएंसच में इस प्रकृति की हर बात निराली है । बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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