बुधवार, 23 अप्रैल 2025

किताबों से बात


यदि जीवन में न रहे संवाद

तुम किताबों से करना बात ।


किताबें बङे ध्यान से सुनती हैं

नोट कर लेती हैं कहे का सार,

यानी सारी बात सिलसिलेवार ।


इन्ही किताबों पर है दारोमदार 

विद्या के सम्यक बीजारोपण का ।

मेधा और विवेक के सिंचन का ।


एक किताब पर रख कर हाथ

अदालतों में दिलवाई जाती है

केवल सच बोलने की सौगंध ।


भारत देश का समूचा विधान 

तय करती है एकमात्र किताब

जिसे कहते हैं जन संविधान ।


एक किताब मानो सच्ची अरदास 

गुरुवाणी गुरु ग्रंथ साहिब साकार 

शीश नवाए हम करें आत्मसात।


यदि जीवन में न रहे संवाद

तुम किताबों से करना बात ।

 

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