यदि जीवन में न रहे संवाद
तुम किताबों से करना बात ।
किताबें बङे ध्यान से सुनती हैं
नोट कर लेती हैं कहे का सार,
यानी सारी बात सिलसिलेवार ।
इन्ही किताबों पर है दारोमदार
विद्या के सम्यक बीजारोपण का ।
मेधा और विवेक के सिंचन का ।
एक किताब पर रख कर हाथ
अदालतों में दिलवाई जाती है
केवल सच बोलने की सौगंध ।
भारत देश का समूचा विधान
तय करती है एकमात्र किताब
जिसे कहते हैं जन संविधान ।
एक किताब मानो सच्ची अरदास
गुरुवाणी गुरु ग्रंथ साहिब साकार
शीश नवाए हम करें आत्मसात।
यदि जीवन में न रहे संवाद
तुम किताबों से करना बात ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंआपकी अबतक की सबसे खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंयदि जीवन में न रहे संवाद
जवाब देंहटाएंतुम किताबों से करना बात ।
वाह!!!
बहुत सटीक एवं सार्थक सृजन ।