हे लोकतंत्र के उपासक !
वोट नहीं डाला ?
क्यों नहीं डाला ??
तुम कहते हो,
नकली है मतदान
चुनाव में हेरफेर है !
मित्र, हेरफेर है अगर,
तो होना चाहिए सतर्क
और भी अधिक !
वोट का अपने
करो सदुपयोग,
मत जाने दो व्यर्थ !
सुनो श्रीमान !
वोट का अपने
रखो मान !
राजनीति के उलटफेर
होते हैं सर्वत्र
क्या देश क्या घर !
घर छोङ देते हो क्या ?
भाग्य भरोसे ?
यदि नहीं ..तो देव जागो !
चेतना के कपाट खोलो !
अकर्मण्यता छोङो !
अवसरवादी ही बन लो !
हे कुंभकर्ण ! आंखें खोलो !
वोट देकर भविष्य चुनो !
पूरे हक़ से हालात बदलो !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 21 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
नमस्ते रवींद्र जी। लिंक चुनने के लिए आपका बहुत आभार। रचनाएं खूब पसंद आईं। नमस्ते।
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, जोशी जी।
हटाएंप्रेरणादायक पोस्ट. नमस्ते ब्लॉग पर आगमन हेतु आपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबिलकुल .... अपने मत को जानो, पहचानो अपनी ताकत को .. सही इस्तेमाल करो इसका ... अच्छी रचना ...
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