सोमवार, 2 दिसंबर 2024

भावुक मन, भावमय रहना ।



भावुक मन, 

भावमय रहना ।

मर्म समझ

अपना मत देना ।


दुखती रग पर

संभल-संभल कर

शब्दों के फाहे रखना ।


अव्यक्त व्यथा की

थाह पा कर,

मौन से मान रखना ।


क्लांत पथिक की

कठिन राह पर

शीतल जल कूप बनना ।


अश्रु जल का खारापन 

अंजुरी में भर कर,

गंगाजल सम पान करना ।


कांटों भरी 

जीवन बगिया में 

गुलाब की सुगंध बन बसना । 


सबके मन पर भार बहुत 

तुम भाव गहन कर

मन-भुवन, भारहीन कर देना । 


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