भावुक मन,
भावमय रहना ।
मर्म समझ
अपना मत देना ।
दुखती रग पर
संभल-संभल कर
शब्दों के फाहे रखना ।
अव्यक्त व्यथा की
थाह पा कर,
मौन से मान रखना ।
क्लांत पथिक की
कठिन राह पर
शीतल जल कूप बनना ।
अश्रु जल का खारापन
अंजुरी में भर कर,
गंगाजल सम पान करना ।
कांटों भरी
जीवन बगिया में
गुलाब की सुगंध बन बसना ।
सबके मन पर भार बहुत
तुम भाव गहन कर
मन-भुवन, भारहीन कर देना ।
बहुत ही उत्तम
जवाब देंहटाएंसटीक कविता
जवाब देंहटाएंमन को छू गई ।
जवाब देंहटाएंभावों की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति..🙏
जवाब देंहटाएंKitne Sundar bhaav hain ♥️
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी 😊
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