भारत से इज़रायल,
फ़िलीस्तीन से लेबनान,
बल्कि दुनिया के
किसी भी कोने में,
जो अंधेरे से
लङ रहा है,
उसके हाथों में
मशाल दे दो माँ।
कांपते हृदय में
अभय का उजाला
भर दो माँ ।
भारत से इज़रायल,
फ़िलीस्तीन से लेबनान,
बल्कि दुनिया के
किसी भी कोने में,
जो बस जी रहा है,
उसके जीवन को
अर्थ दे दो माँ।
भारत से इज़रायल,
फ़िलीस्तीन से लेबनान,
बल्कि दुनिया के
किसी भी कोने में,
जो दो जून रोटी
और ज़रूरतें
पूरी करने में
मरा जा रहा है,
उस जन साधारण की
युद्ध की विभीषिका से
रक्षा करना माँ।
भारत से इज़रायल,
फ़िलीस्तीन से लेबनान,
बल्कि दुनिया के
किसी भी कोने में
जो सिर्फ़ किसी को
बचाने के वास्ते
जान हथेली पर लेकर
निकल पङा है,
अपनी दस भुजाओं से
उसके साथ लङना माँ।
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माँ की छवि अंतर्जाल से साभार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 07 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुंदर आह्वान।
जवाब देंहटाएंजय माता दी 🙏
सुंदर सृजन
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