घर-घर के द्वार पर
मंदिर के निकट
अल्पना में अंकित
शुभ श्री चरण ..
माँ लक्ष्मी के माथे पर
दमकता पूर्ण चंद्र
नील नभ के ताल मध्य
जैसे खिला हो कमल !
अमावस और पूनम
सृष्टि का क्रम अनवरत,
नयनों में भर लेना मन
स्निग्ध चाँदनी का पीयूष।
निशा के चंद्र बनो मेरे मन
ऐसे कि उजियारी हो रैन ,
वंशी सुन हो जाए मगन,
शीतल बयार बन.. पाओ चैन ।
अंतर्दृष्टि से रस-रास अवलोकन ,
पथ प्रकाशित करें पावन पदचिन्ह ।
नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
सोमवार, 13 अक्टूबर 2025
पावन पदचिन्ह
शनिवार, 11 अक्टूबर 2025
हर रंग में खुशरंग रहना
जब आता है भूकंप
थरथरा उठती है पृथ्वी !
ज़मीन फट जाती है !
चट्टानों में पङ जाती है दरार !
फिर भी इस दरार से इक दिन
अंकुर फूटता है ..
जीवन का चक्र फिर से घूमता है ।
क्योंकि जीवन ऐसा ही होता है !
जीने का मार्ग ढूँढ ही लेता है ।
ख़त्म जहाँ होता है..
फिर शुरु वहीं से होता है हर बार !
शर्त एक ही है जीने की
हिम्मत कभी न हारना !
और ना ही हारने देना !
किसी बेगाने या अपने को ।
ठोकर लग जाए तो हाथ बढ़ा देना ।
कोई बिखर जाए तो गले लगा लेना ।
किसी अपरिचित से भी हाल पूछ लेना ।
अगर नज़र मिल जाए तो मुस्कुरा देना ।
दो मीठे बोल और अपनापन बङी दवा है !
जाने कितने डूबतों को थाम लिया है ।
जब झिंझोङ जाए कोई दुस्वप्न,अनुभव बुरा
मदद माँगने से तुम भी ना हरगिज़ कतराना ।
बुरे वक्त में साथ किसी का देना,साथ रहना ।
सबसे बङी दौलत है खुश रहना और रखना ।
मानवता की शोभा है संवेदना । याद रखना ।
फीके रंगों से भी सहस्र रंगों का राग बुनना ।
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
धूप-छाँव में पनपे रिश्ते
शिकायतें मुझे भी हैं तुमसे
नाराज़गी तुम्हें भी हैं मुझसे
हम तुम बिन रह नहीं सकते
तुम्हें भी साथ रहना है हमारे
यदि हम उन खूबियों को देखें
जिनकी वजह से हम-तुम जुङे
एक-दूसरे की छाँव में सुस्ता लें
आपस में तपती धूप भी बाँट लें