शनिवार, 5 अक्तूबर 2024

अर्जी


भारत से इज़रायल, 

फ़िलीस्तीन से लेबनान, 

बल्कि दुनिया के

किसी भी कोने में,

जो अंधेरे से

लङ रहा है, 

उसके हाथों में

मशाल दे दो माँ।

कांपते हृदय में

अभय का उजाला

भर दो माँ ।


भारत से इज़रायल,

फ़िलीस्तीन से लेबनान, 

बल्कि दुनिया के

किसी भी कोने में,

जो बस जी रहा है,

उसके जीवन को 

अर्थ दे दो माँ।


भारत से इज़रायल, 

फ़िलीस्तीन से लेबनान, 

बल्कि दुनिया के

किसी भी कोने में,

जो दो जून रोटी

और ज़रूरतें 

पूरी करने में

मरा जा रहा है,

उस जन साधारण की

युद्ध की विभीषिका से

रक्षा करना माँ।


भारत से इज़रायल, 

फ़िलीस्तीन से लेबनान, 

बल्कि दुनिया के

किसी भी कोने में

जो सिर्फ़ किसी को 

बचाने के वास्ते 

जान हथेली पर लेकर

निकल पङा है,

अपनी दस भुजाओं से

उसके साथ लङना माँ।

 

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माँ की छवि अंतर्जाल से साभार 

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