शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

पत्र जो लिखे नहीं गए


चिट्ठियाँ जो लिखी नहीं गईं, 

लिखी गईं तो भेजी नहीं गईं,

भेजी गईं तो कभी पहुँची नहीं,

पहुँची तो पढ़ी न जा सकीं ..


उन चिट्ठियों के नाम..

मेरा ये ख़त है ।


जैसे ख़त लिखे जाते हैं ..

दुआ-सलाम के बाद,

कुशल-क्षेम, हाल-चाल

समाचार का आदान-प्रदान,

और फिर लिखना वह बात

जो सामने कहते ना बनी ।

उमङ-घुमङ कर बदली

एक दिन अनायास बरस गई।

शब्दों की बूँदें काग़ज़ भिगो गईं ।


जैसे बोतल में बंद संदेश 

कभी रवाना ही ना हों,

या हो सकता है..

अब तक सफ़र में हों,

या फिर निर्जन समुद्र तट पर

अब तक गिनती हों लहरें ।

पर रेत पर पङते नहीं निशान ।

कलम पर रह जाती है बेशक

उंगलियों की अमिट छाप ।


किन्तु पत्र जो आज तक

न हुए कभी अभिव्यक्त, 

कहने को हो गए विलीन

पर अब तक प्रतीक्षारत 

लिफ़ाफ़ाबंद घर की किसी 

पुरानी दराज में चुपचाप ।

शायद किसी दिन जब

खंगाले जाएं उपेक्षित खन

कोई उत्सुकतावश ही सही

खोल कर पढ़ ले चिट्ठी ।


चिट्ठियाँ जो लिखी नहीं गई, 

लिखी गईं तो भेजी नहीं गईं,

भेजी गईं तो कभी पहुँची नहीं,

पहुँची तो पढ़ी न जा सकीं ..


उन चिट्ठियों के नाम

है मेरा ये ख़त..

विचारों से उपजे शब्द 

जिसके लिए रचे गए, 

उस तक पहुँचते हैं ज़रुर

भावनाओं का वेश धर ।

एक दिन भरी दोपहर 

डाकिया आता है आवाज़ लगाता   

साइकिल पर सरपट या पैदल..

बस सजग रहना मन,

जब वो खङकाए साँकल ।

इस बार अपने हाथों से लेना,

खोल कर पढ़ लेना अविलंब ।


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 चित्र साभार : अंतरजाल !

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 12 अक्बटूर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! दिल को छूती बहुत ही सुन्दर कविता।

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