रविवार, 1 सितंबर 2024

चिट्ठी .. सुधियों की सौगात


चिट्ठी में लिखी बात

सुधियों की सौगात ।

रह-रह कर आती याद

थाम लेती बार-बार ।

 

बस खोलते ही दराज

उमङते ह्रदय के भाव । 

लिखावट में साकार

अपने आ बैठते पास ।

 

कुशल-क्षेम के बाद

हिदायतें लगातार..

शब्द-शब्द से छलकता

प्यार भरा सरोकार ।

 

फिर सिलसिलेवार, 

उस पार के समाचार । 

कभी मदद की गुहार ।

याद रखने की फ़रियाद।

 

लौट आने की मनुहार।

व्याकुल मन की पुकार ।

विचारों का आदान-प्रदान,

अनुभव से अर्जित समाधान ।

                              

चिट्ठी लिखी जाती थी,

मानो बात हो जाती थी ।

दूरियाँ पाट देती थी ।

चिट्ठी वो ऊँची पतंग थी ।

 

डाक बाबू नहीं,आता था वैद्य

चिट्ठियाँ करती थीं उपचार !

चिट्ठी लिख होता था संवाद ..

चिट्ठी का अब भी रहता है इंतज़ार ।


11 टिप्‍पणियां:

  1. चिट्ठी की खुशबू अब तो बीते दिनों की बात हो गयी है। स्मृतियों के सुंगध से सरोबार सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।
    --------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ३ सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्वेता जी , धन्यवाद। बहुत दिनों बाद हुआ संवाद। नमस्ते।

      हटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए