शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
आजकल यहाँ
तपता है मौसम,
उङती रहती है धूल,
दोपहर बेजान-सी ।
पंछी खोले चोंच
ढूंढते हैं पानी ।
खोजते हुए छाँव
निगाह जिस तरफ़ गई ,
झूमता झूमर देखा
धूप ने तपा-तपा
ढाला खरा सोना,
बेझिझक बेपरवाह
मानो मुख पर हो हास,
फूल रहा अमलतास ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 06 मई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
यशोदा सखी, आपका धन्यवाद. बेबाक रचनाओं को पढ़ कर मज़ा आ गया. नमस्ते.
सुन्दर
धन्यवाद, जोशी जी. नमस्ते.
सुंदर सृजन
हार्दिक आभार. धन्यवाद.
धन्यवाद, आलोक जी.
बहुत सुन्दर रचना।
हार्दिक आभार. नमस्ते.
बहुत सुंदर
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 06 मई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंयशोदा सखी, आपका धन्यवाद. बेबाक रचनाओं को पढ़ कर मज़ा आ गया. नमस्ते.
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, जोशी जी. नमस्ते.
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार. धन्यवाद.
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, आलोक जी.
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार. नमस्ते.
हटाएंबहुत सुंदर
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