अमां यार ! वैसे तो
हर गली-नुक्कङ पर
विचारों के खोमचे
लगाते हो रोज़ाना !
पान की दुकान पर
देते हो व्याख्यान !
सोफ़े पर विराजमान
गिनाते हो धङल्ले से
सरकार के कारनामे !
धज्जियाँ उङा देते
विपक्ष की चुटकियों में !
पर जब आया अवसर
अपना वास्तविक मत
अपना वोट देकर
प्रकट करने का तो
कहाँ जा छुपे हो छलिया
अपना अमूल्य वोट लेकर ?
कारण अनेक हैं बंधु
कङी धूप से लेकर
उदासीनता तक,
पर विकल्प एक यही है,
चुनाव करना ज़रुरी है,
वर्ना अधिकार आलोचना का
भी छिन जाएगा फ़ौरन !
मौका बस एक यही है
मत की महत्ता जताने का !
अपनी बात का वज़न
तुलवाने का भाई मेरे !
ज़रा मैदान में उतरो !
अपने मत से टक्कर दो !
मतदान केंद्र तक आओ !
उपस्थिति दर्ज कराओ !
जागो देश तुम्हारा भी है !
मात्र औपचारिकता नहीं है,
मतदान की ताक़त का
अंदाज़ा अगर नहीं है,
इस बार आज़माओ !
वोट डाल कर आओ !
सटीक
जवाब देंहटाएंजागरूक करती जरूरी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ मई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंजाने कब जागेंगे हम ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जन जागरण करती प्रस्तुति ,,,
अद्भुत प्रस्तुति...👌👌👌
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