प्रातः जब वंशी की
मधुर तान सुनी,
उठ कर देखा
वशीकरण मंत्र यह
फूंका किसने
चैतन्य में
सवेरे-सवेरे ?
कदंब की छाँव में,
अपनी ही धुन में,
वनमाली वासुदेव
बांसुरी पर जप रहे,
राधा राधा राधा..
शांत स्वर रागिनी
प्राण जगा रही
तृण तृण में,
खिल रही कुमुदिनी,
समस्त सृष्टि सुन रही,
प्रीति पिरो रही
मन के मनकों में,
वंशीधर की वंशी हुई
श्री राधा भाव भूषित ।
॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥
कलाकृति : श्री करन पति
आभार सहित
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 29 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंजय श्री राम के बाद राधे राधे पर चलें | अयोध्या हो गया व्रन्दावन करें |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंजय श्री राधे कृष्णा।
अति सुंदर
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