शनिवार, 27 अप्रैल 2024

श्री राधा भाव भूषित


प्रातः जब वंशी की 

मधुर तान सुनी,

उठ कर देखा

वशीकरण मंत्र यह

फूंका किसने

चैतन्य में

सवेरे-सवेरे ?

कदंब की छाँव में,

अपनी ही धुन में,

वनमाली वासुदेव 

बांसुरी पर जप रहे,

राधा राधा राधा..

शांत स्वर रागिनी

प्राण जगा रही

तृण तृण में,

खिल रही कुमुदिनी, 

समस्त सृष्टि सुन रही,

प्रीति पिरो रही 

मन के मनकों में,

वंशीधर की वंशी हुई 

श्री राधा भाव भूषित ।

 

॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥॥

कलाकृति : श्री करन पति

आभार सहित 


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