सोमवार, 27 मई 2024

सत्यम शिवम सुंदरम


अब के घरों में

खिङकी में लगी ग्रिल 

ग्रिल में रखे गमले

गमलों में खिले फूल ।

सामने की छत पर

डोरी पर सूखते कपङे,

छत के बाद पहाङ,

पहाङ की छत

खुला आसमान..

एक लंबा सिलसिला है

गिनते जाने का,

क्या-क्या हमारी 

पहुँच में है, क्या नहीं ।

कमाल है ! बात यहीं

मुकम्मल हो गई!

इन तीन फूलों में ही

सिमट गई..अगर इन्हें

देखते ही मन कहे

सत्यम शिवम सुंदरम !

सोच का ही तो फ़र्क है !

वर्ना मामूली बातें हैं ये सारी !

फूल खिलेंगे फिर मुरझाएंगे !

लेकिन याद रह जाएंगे ..

अपने दस्तख़त कर जाएंगे..

सत्यम शिवम सुंदरम।


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