अब के घरों में
खिङकी में लगी ग्रिल
ग्रिल में रखे गमले
गमलों में खिले फूल ।
सामने की छत पर
डोरी पर सूखते कपङे,
छत के बाद पहाङ,
पहाङ की छत
खुला आसमान..
एक लंबा सिलसिला है
गिनते जाने का,
क्या-क्या हमारी
पहुँच में है, क्या नहीं ।
कमाल है ! बात यहीं
मुकम्मल हो गई!
इन तीन फूलों में ही
सिमट गई..अगर इन्हें
देखते ही मन कहे
सत्यम शिवम सुंदरम !
सोच का ही तो फ़र्क है !
वर्ना मामूली बातें हैं ये सारी !
फूल खिलेंगे फिर मुरझाएंगे !
लेकिन याद रह जाएंगे ..
अपने दस्तख़त कर जाएंगे..
सत्यम शिवम सुंदरम।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसत्यम शिवम सुंदरम।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
सादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
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