गुरुवार, 21 मार्च 2024

गौरैया का शगुन


दिन प्रतिदिन तुम आओ ।

चहचहा कर मुझे जगाओ ।

ह्रदय स्पंदन में बस जाओ ।

गौरैया जीवन गान गाओ ।


घर की चहल-पहल हो तुम ।

हरीतिमा की दूत हो तुम ।

खुशहाली की नब्ज़ हो तुम ।

आत्मीय आगन्तुक हो तुम ।


घर मेरा छोङ के मत जाना ।

दाना चुगने हर दिन आना ।

प्याऊ जान जल पीने आना ।

नीङ निडर हो यहीं बनाना ।


सृष्टि की सचेत गुहार हो तुम ।

नन्ही खुशी की हिलोर हो तुम ।

हम जैसी ही साधारण हो तुम  ।

प्रभात का प्रथम शगुन हो तुम ।


6 टिप्‍पणियां:

  1. नीङ निडर हो यहीं बनाना। सुंदर पंक्तियाँ

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  2. सृष्टि की सचेत गुहार हो तुम ।

    नन्ही खुशी की हिलोर हो तुम ।

    हम जैसी ही साधारण हो तुम ।

    प्रभात का प्रथम शगुन हो तुम ।
    वाह!!!
    क्या बात...बहुत सटीकलाजवाब।

    जवाब देंहटाएं

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