दिन प्रतिदिन तुम आओ ।
चहचहा कर मुझे जगाओ ।
ह्रदय स्पंदन में बस जाओ ।
गौरैया जीवन गान गाओ ।
घर की चहल-पहल हो तुम ।
हरीतिमा की दूत हो तुम ।
खुशहाली की नब्ज़ हो तुम ।
आत्मीय आगन्तुक हो तुम ।
घर मेरा छोङ के मत जाना ।
दाना चुगने हर दिन आना ।
प्याऊ जान जल पीने आना ।
नीङ निडर हो यहीं बनाना ।
सृष्टि की सचेत गुहार हो तुम ।
नन्ही खुशी की हिलोर हो तुम ।
हम जैसी ही साधारण हो तुम ।
प्रभात का प्रथम शगुन हो तुम ।
नीङ निडर हो यहीं बनाना। सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसृष्टि की सचेत गुहार हो तुम ।
जवाब देंहटाएंनन्ही खुशी की हिलोर हो तुम ।
हम जैसी ही साधारण हो तुम ।
प्रभात का प्रथम शगुन हो तुम ।
वाह!!!
क्या बात...बहुत सटीकलाजवाब।