मिट्टी और नमी से
गढ़े गए हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम।
बच्चों की हठ पर
हाट-बाज़ार से
खरीदे गए हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
कल्पना के मुखर
कच्चे-पक्के रंगों से
जी भर रंगे गए हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
अपनी ज़मीन पर
काजल की कोठरी में
तन कर डटे हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
छोटा है क़द पर
सूरज की रोशनी से
लौ लगाते हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
दिन के छुपने पर
दिनकर की किरणों के
पैदल सिपाही हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
छोटे ही सही पर
बङे-बङे तूफ़ानों से
टकरा जाते हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
नभ के छत्र पर पैबंद
धरा पर जगमग सितारे
छोटी-सी उम्मीद हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
अलाव की आंच पर
धीमे-धीमे सुलगते
टिमटिमाते हौसले हैं हम ।
मिट्टी के दिये हैं हम ।
बहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंज्योति पर्व मंगलमय हो ।
हटाएंधन्यवाद,ओंकार जी ।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (05 -11-2021 ) को 'अपने उत्पादन से अपना, दामन खुशियों से भर लें' (चर्चा अंक 4238) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार, रवीन्द्र जी. दीपोत्सव पर मंगल शुभकामनाएं.
हटाएंविषय बहुत दिलचस्प है. चर्चा चलती रहे. सम्भावनाओं के द्वार खुलते रहें.
वाह! अद्भुत
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ! नमस्ते.
हटाएंदीपावली शुभ हो.
आदरणीया यशोदा जी, दीपोत्सव पर मंगल शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद. लिंक हो कर आनंदित हुए !
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,आलोक जी ।
हटाएंआपके नाम का आलोक आपके जीवन को आलोकित करे सदा ।
Loved the title and the poem
जवाब देंहटाएंLong time..thank you.
हटाएंराजा नहीं, न सही ।
पैदल सेना तो हो ही सकते हैं ।
हम सब ।
बहुत गहरी ... भावपूर्ण रचना है ...
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद, नासवा जी.
हटाएंनमस्ते.