गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021

आओ माँ !


आओ माँ !

आओ माँ करने दुष्टता का संहार !
आओ माँ हो कर सिंह पर सवार !
अपनी दुर्बलताओं से हम गए हार !
तुम पग धरो धरणी पर करो प्रहार !
हमारे प्राणों में हो शक्ति का संचार !
अपने त्रिशूल से भय पर करो वार !
खड्ग से दूर करो दारिद्र्य विकार !
क्षितिज सम भवों पर सूर्य साकार !
जगद्धात्री माँ लेकर करूणा अपार !
माँ हरो मेरे अंतर में व्याप्त अंधकार !
माँ साहस ही देना वरदान इस बार !
आओ माँ आओ मंगल हो त्यौहार !
शंखनाद जयघोष सहित हो भव पार !

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. नवरात्रि की अनेकानेक शुभकामनाएं, रवीन्द्र जी ।
      आज के पन्ने पर जगह देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद । हम सबके ह्रदय में माता की ज्योत जले ।

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  2. उत्तर
    1. दुःख गहरा भव तारिणी माँ !
      जड़ता से जग को उबारो माँ !

      सराहना के लिए गहन आभार.

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  3. नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं । सुंदर सृजन ।

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  4. सुंदर, सार्थक रचना !........
    ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  5. उत्तर
    1. धन्यवाद, ओंकार जी ।
      विजयदशमी पर शुभकामनाएं ।

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