आओ माँ !
आओ माँ करने दुष्टता का संहार !
आओ माँ हो कर सिंह पर सवार !
अपनी दुर्बलताओं से हम गए हार !
तुम पग धरो धरणी पर करो प्रहार !
हमारे प्राणों में हो शक्ति का संचार !
अपने त्रिशूल से भय पर करो वार !
खड्ग से दूर करो दारिद्र्य विकार !
क्षितिज सम भवों पर सूर्य साकार !
जगद्धात्री माँ लेकर करूणा अपार !
माँ हरो मेरे अंतर में व्याप्त अंधकार !
माँ साहस ही देना वरदान इस बार !
आओ माँ आओ मंगल हो त्यौहार !
शंखनाद जयघोष सहित हो भव पार !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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नवरात्रि की अनेकानेक शुभकामनाएं, रवीन्द्र जी ।
हटाएंआज के पन्ने पर जगह देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद । हम सबके ह्रदय में माता की ज्योत जले ।
गहन रचना।
जवाब देंहटाएंदुःख गहरा भव तारिणी माँ !
हटाएंजड़ता से जग को उबारो माँ !
सराहना के लिए गहन आभार.
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं । सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, शुभाजी.
हटाएंशुभ हो ! मंगल हो !
सुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
हार्दिक धन्यवाद । नमस्ते ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकार जी ।
हटाएंविजयदशमी पर शुभकामनाएं ।