अलविदा २०७७ ।
आ ही गया तुम्हारे
अस्त होने का समय ।
बहुत कष्ट पाया तुमने ।
अलग-थलग सबसे विलग
मौन हो गए और हो गए विलय
नवागन्तुक प्रहर की लहर में विलीन ।
अब मिलना होगा नव संवत्सर की चौखट पर ।
सुना है,अब जो आओगे पोटली में होंगे सुदामा के चावल।
मित्रवत स्वागत तुम्हारा हृदय तल से करेंगे सकल जन सहर्ष ।
करतल ध्वनि कर समवेत स्वर में करेंगें शिव तत्व का आह्वान ।
धैर्य और धर्म धारण कर परिवर्तन लाए नव विकम संवत्सर २०७८ ।
आरोग्य उपहार मिले,उर में आनंद का हो आगमन,नूतन वर्षाभिनंदन ।
मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
आनंद संवत्
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आनंद नाम संवत्सर आनंद प्रद हो। अस्तु
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2099...कभी पछुआ बहे तो कभी पुरवाई है... ) पर गुरुवार 15अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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जवाब देंहटाएंबधाई हो।
बहुत सुन्दर।
हमारी प्रार्थना मातारानी तक पहुंचे यही कामना है
जवाब देंहटाएंआपको भी नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये आपको
सुन्दर प्रार्थना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..!
जवाब देंहटाएंनववर्ष सभी के लिए प्रगति के उल्लास से आलोकित हो
जवाब देंहटाएंमित्रवत स्वागत तुम्हारा हृदय तल से करेंगे सकल जन सहर्ष ।
जवाब देंहटाएंकरतल ध्वनि कर समवेत स्वर में करेंगें शिव तत्व का आह्वान
बहुत सुन्दर भाव!
आपकी प्रार्थना फलीभूत हो 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता के लिए बधाई
आपकी सुंदर कामना और प्रार्थना सभी के जीवन को सुख और शांति देगी । यही आशा और विश्वास है,सादर ।
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