गुरुवार, 4 मार्च 2021

अकस्मात


भले आदमी थे
जल्दी चले गए ।

जल्दी चले गए ?
अच्छे चले गए  !
जो लंबे रह गए ।
वो पछता रहे !

जल्दी जाने वाले,
अचानक जाने वाले,
कम से कम सोचिए..
खुशफ़हमी में तो गए
कि उनके जाने से 
सबके दिल बहुत दुखे ।

जी जाते अगर लंबे 
तो सारे भ्रम दूर हो जाते ।
चकनाचूर हो जाते
इरादे अपने अनुभव से 
सबको राह दिखाने के ।
अपने स्नेह की फुहार से 
घर की फुलवारी सींचने के ।

ज़्यादा टिक जाते अगर ये
आउटडेटेड हो जाते,
पुराने एनटीक रेडियो से, 
जो एकदम फ़िट नहीं होते  
ज़माने के बदलते दौर में ।
स्टीरियो साउंड के रहते
इनकी खङखङ कौन सुने !

न रखने के न कबाङ में 
डालने के पुराने सामान ये ।
पुश्तैनी आरामकुर्सी जैसे 
एडजस्ट हो ही नहीं पाते ।
जब देखो तब टकरा जाते ।
दिन भर असहाय बङबङाते 
घर में अपना कोना तलाशते
उपेक्षित बङे - बूढे कुटुंब के ।

कुछ ग़लत कहा क्या हमने ?
आंख की किरकिरी बनने से 
बच गए जो जल्दी चल दिए,
अकस्मात यूँ ही चलते-चलते ।

21 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०३-२०२१) को 'निसर्ग महा दानी'(चर्चा अंक- ३९९७) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. धन्यवाद, अनीता जी ।
      विषय रोचक है । कल भेंट होगी ।

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद, शांतनु जी ।
      श्रवण कुमार कथा-कहानी के पात्र लगते हों भले,अब भी मौजूद हैं । अपनी बारी आने पर ईश्वर हमें सन्मति दें ।

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  3. सौ प्रतिशत सच कहा . अचानक चले जाना ही सही है वरना तो सारे रूप सामने आ जाते हैं .

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    1. शुक्रिया,संगीता जी ।
      जीने जी नहीं पूछा । मरने के बाद उमङो या बरसो, क्या फ़र्क पड़ता है । पंछी तो उङ गया ।
      जाने वाले के लिए नहीं,औपचारिकता निभाने आते हैं लोग ।

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  4. कुछ ग़लत कहा क्या हमने ?
    आंख की किरकिरी बनने से
    बच गए जो जल्दी चल दिए,
    अकस्मात यूँ ही चलते-चलते ।

    बिलकुल सत्य कहा आपने,अक्स्सर देखा जाता है किसी का रहना भी बोझ बन जाता है लोगों के लिए।
    यथार्थ को दर्शाता सुंदर सृजन,सादर नमन

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    1. आभारी हूँ, कामिनी जी । आपने अपने विचार व्यक्त किए । आसपास बहुत देखी यह व्यथा । मन विचलित हो जाता है । जिनके लिए आप अपने-आप को भुला देते हैं, वही आपको भुला देते हैं । औरों का क्या कहना ?
      समय आने पर ईश्वर हमें भी सन्मति दें ।

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  5. उत्तर
    1. शुक्रिया, अनुराधा जी ।
      बहुत दिनों में आना हुआ ।
      फिर जल्दी आइयेगा नमस्ते पर ।

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  6. यथार्थ! सटीक विश्लेषण।
    बहुत सुंदर सृजन नूपुरम जी।
    सस्नेह।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया ।
      काश इस विषय पर लिखने की ज़रूरत ही न पङती । पर दुनिया है । बाज़ आ जाए तो दुनिया क्या ?

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  7. Kuch bhi kahiye, par jo Vintage ki value samajhte hain wo samajhte hain.

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  8. Kavita nahin aaina hai kya khoob sachchayi vyakt ki haii kavya jagat k Utkarsh par pahuncho yehi aashirwad hai.

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  9. बहुत खूब लिखा है, बहुत ही बढ़िया ,सच को दर्शाती हुई

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