जन्मभूमि के लिए
जो जिये और मरे,
उनका अनुकरण
कर पाएं हम ..
साहस का उनके
कर वरण,
नित करें स्मरण
और वंदन ।
शहीदों और वीरों के
बलिदान का हर क्षण,
अमिट छाप छोङे
जन मानस पर ।
जो न्योछावर हुए
देश की माटी पर,
उन पर न्योछावर
देश की धङकन ।
श्वास श्वास कृतज्ञ
शत शत नमन,
सदा सेवा में सजग
सज्ज रहें जन गण मन ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (27-01-2021) को "गणतंत्रपर्व का हर्ष और विषाद" (चर्चा अंक-3959) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुप्रभात शास्त्री जी । धन्यवाद ।
Deleteकल के घटनाक्रम से स्तब्ध और हतप्रभ है मन ।
सलाम है, वीर जवानों को
ReplyDeleteजय हिंद ।
Deleteशुक्रिया,गगन जी ।
सुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद,ओंकारजी.
Deleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteजय जवान ।
सखी ! बहुत दिनों में हुई भेंट ! बहुत दिनों में झंकृत हुए मन की वीणा के तार !
Deleteधन्यवाद. जय जवान. जय वास्तविक किसान.
श्वास श्वास कृतज्ञ
ReplyDeleteशत शत नमन,
सदा सेवा में सजग
सज्ज रहें जन गण मन ।
- गणतंत्र दिवस पर सुंदर रचना। शुभकामनाओं सहित अभिवादन। ।।।
नमस्ते. धन्यवाद.
Deleteहम सब अपना कद ऊँचा करें.
पर ना बनें "जैसे पेड़ खजूर".
जय हिन्द !
देशप्रेम से सुसज्जित मनोहारी कृति..
ReplyDeleteधन्यवाद, जिज्ञासा जी. नमस्ते पर आपका हार्दिक स्वागत है.
Deleteआती रहिएगा.
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteशुक्रिया,माथुर साहब.
Deleteनमस्ते पर आपका हार्दिक स्वागत है.
उम्मीद है, आना-जाना लगा रहेगा.
Very nice... bahut hi sundar likha hai apne... :-)
ReplyDeleteशुक्रिया,आशीष जी. आपको अच्छा लगा, जान कर हर्ष हुआ.
Deleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद, अनीता जी.
Deleteआपका प्रोत्साहन मिलता रहे.
कारवां आगे बढ़ता रहे.