बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

सूर्यास्त के बाद

शाम ढले देखा,
सामने की छत पर 
पहने नारंगी जामा
टहल रहा था सूरज,
अब तक ढला न था ।

असमंजस में था ।
मन में सोच रहा था
आज अगर छत पर
सो जाऊं मैं चुपचाप ?
देखूँ कैसे दिखते हैं तारे 
दूर गगन में झिलमिलाते ।
कैसा लगता है चंद्रमा ?
नभ के भाल पर चमकता ।
और चांदनी का उजियारा ।

इतने में कोई वहां रख गया
इक लालटेन और बस्ता ।
जला कर पढ़ने लगा बच्चा ।
सूरज फिर सोच में पङ गया ।

सूर्यास्त के पश्चात जगत सारा
करता है विश्राम थका-हारा ।
अथवा निपटाता बाकी के काम,
मन में लिए भोर होने की आशा ।
सबके जिम्मे अपना-अपना काम ।
बोरिया-बिस्तर अपना बांध तत्काल 
करना होगा मुझे अविलंब प्रयाण ।
समस्त सृष्टि को है जिसकी प्रतीक्षा 
समय पर वह सूर्योदय अवश्य होगा ।

27 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक आभार श्वेता जी ।
    कल सूरज को लेकर आना है ?
    : )

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  2. बहुत सुंदर कविता,कल के सूर्योदय का इंतज़ार करते हुए अब सो जाते हैं

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    1. काश,आपका परिचय भी लिखा होता. धन्यवाद.
      सूर्योदय की प्रतीक्षा में
      जो सोता है..
      गहरी नींद में सोता है.
      अपनी उम्मीद से
      अपनी नींद में
      सुन्दर सपने बोता है.
      और जो बोता है,
      धूप से सींचता है,
      सपना तो उसका ही
      सच होता है.

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  3. सबके जिम्मे अपना-अपना काम
    सत्य कथन
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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    1. धन्यवाद, विभा जी.

      हम सब यदि समझते
      अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी,
      दोष किसी को ना देते
      ख़ुद गढ़ते दुनिया न्यारी.

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  4. आहा। बिल्कुल जैसे महनत भरे दिन के बाद जैसे व्यक्ति office की टेबल पर ही सो जाना चाहता है, क्या सूरज भी कभी छत पर सोना चाहता होगा?
    क्या कभी चांद भी दबे पांव आने के लिए सूरज के जाने का इंतजार करता है?

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    1. हो सकता है बंधु.
      जो सारे जग को देता है
      आलोक और जीवन,
      वो सूरज भी
      सोचता होगा
      कभी चांदनी में सो जून,
      तकता गगन में तारे.
      वो चंदा जो बरसाता
      स्याह रात में चांदनी,
      वो भी चाहता होगा
      इक दिन धूप सेंकना
      छोटी-सी झपकी लेना
      दिन भर तपना
      और फिर शीतल राग
      रात को छेड़ कर
      लोरी गा कर सुलाना.

      धन्यवाद, अनमोल सा.

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  5. बहुत अच्छी काव्याभिव्यक्ति है यह आपकी नूपुर जी ।

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    1. धन्यवाद, माथुर साहब.
      आपको अच्छी लगी, जान कर खुशी हुई.
      पढ़ते रहिएगा. नमस्ते.

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  6. Noopur u r great always enjoy my heartiest blessings.how beautifully nsimply painted the sunset scene! Khush raho swasth raho.

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    1. बड़ों के आशीर्वाद पाकर
      और डांट खा कर
      बड़ा होता है जो,
      बहुत खुशकिस्मत होता है.
      सूर्योदय अपना
      जिसने स्वयं संवारा
      उसके जीवन का
      सूर्यास्त भी सुन्दर होगा.

      हार्दिक आभार.नमस्ते.

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  7. While reading I imagined sun as a motu naughty kid wearing loose orange payjama with the strings hanging, doing तांक झांक here n there... But by the end he became a sensible & responsible guy 😁

    Brilliant as always!

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    1. Awwee ! What a colourful reflection !
      This calls for an illustrated amar chitra katha !
      Thank you.. such a sweet response !

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  8. बढ़िया रचना है, नूपुरम जी!

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    1. प्रकाश जी, नमस्ते पर शायद पहली बार आना हुआ है आपका.
      पर सूरज की बात चली तो प्रकाश होना ही था !
      आते रहिएगा ..धन्यवाद. नमस्ते.

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