सोमवार, 1 जून 2020

जड़ें

एक पेड़ का 
धराशायी होना,
टूट कर गिरना,
हतप्रभ कर देता है ।
एक सदमे की तरह
आघात करता है ।
कुछ तोड़ देता है
अपने भीतर ।

एक पेड़ को
ठूंठ बनते देखा
तो लगा,
क्या फ़र्क है,
पेड़ के सूखने
और भावनाओं के
जड़ हो जाने में ?

इसीलिए जब
ठूंठ भी ना रहा,
हृदय की तरल
अनुभूति भी
जाती रही ।

जड़ों के बिना कोई
जी पाता नहीं ।
टिक पाता नहीं ।
पेड़ हो या आदमी ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. We always have a choice between having wings to fly or having roots to ground ourselves. We seldom forget that the winged bird comes home to a rooted tree, and tree also finds joy in making itself a home for a winged creature.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को   "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया"  (चर्चा अंक-3721)    पर भी होगी। 
    --
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. धन्यवाद शास्त्रीजी.
      बहुत दिलचस्प शीर्षक है. रचनाएं भी रोचक होंगी, हमेशा की तरह.

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  3. उत्तर
    1. धन्यवाद, जोशी जी.
      बहुत दिनों में आपका आना हुआ.अच्छा लगा.

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  4. बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित काव्य रचा है बहना आपने.
    लाजवाब

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    उत्तर
    1. अनीता जी, धन्यवाद ।
      कहीं जाकर हमारी सोच की रेखाएं मिल गई होंगी शायद ।

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  5. ठूण्ड बनने की और अग्रसर हो रहे हैं सुन्दर रचना

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