बुधवार, 13 नवंबर 2019

लगन


लगन की 
अनगिनत 
बातियों को 
गूंथ कर
सूरज बना, 
जगत में जो
उजाला लाया ।

जो उजाला
दिन ढले
बेशुमार तारों
और चंद्रमा
को समेटता,
हज़ारों दियों की
टिमटिमाती
लौ बन कर
जगमगाया ।

लगन लग जाए
एक दफ़ा,
तो एक दिया भी
काफ़ी है,
अपने हिस्से की
रोशनी,
जुटाने के लिए ।


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 14 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. लगन लग जाए
    एक दफ़ा,
    तो एक दिया भी
    काफ़ी है,
    अपने हिस्से की
    रोशनी,
    जुटाने के लिए ।
    वाह्ह्ह्।
    बहुत खूब नुपुर जी।

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    1. अनंत आभार आदरणीया ।
      आपने इतने मन से पढ़ी और सराही ।

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