आज का दिन
हुआ बेहतरीन !
हुआ बेहतरीन !
गए हफ़्ते
जो बीज बोए थे,
उस मिट्टी में
अंकुर फूटे हैं
नन्हे-नन्हे ।
जो बीज बोए थे,
उस मिट्टी में
अंकुर फूटे हैं
नन्हे-नन्हे ।
बड़ी लगन से
सींचे थे
जो कुम्हलाते पौधे,
उनकी डाली पे
कोमल कोपल हरी-हरी
अभी देखी ।
सींचे थे
जो कुम्हलाते पौधे,
उनकी डाली पे
कोमल कोपल हरी-हरी
अभी देखी ।
एक कली है खिली हुई,
एक खिलने को है ।
एक खिलने को है ।
धूप खिली-खिली
फूलों को हँसा रही ।
पत्तियां ताज़ी-ताज़ी
हाथ हिलाती,
अभिवादन करतीं
धूप का दे-दे ताली ।
फूलों को हँसा रही ।
पत्तियां ताज़ी-ताज़ी
हाथ हिलाती,
अभिवादन करतीं
धूप का दे-दे ताली ।
ख़ुशगवार है मौसम
कम से कम इस पल ।
जिन दिनों
स्थगित हो जाता है जीवन ।
अपने बोये बीज का
अंकुरित होना,
अपने सींचे
पौधों पर फूल खिलना,
मुरझाए मन में
बो देता है मुस्कान ।
खिल उठता है अंतर्मन ।
फिर गुनगुनाने लगता है जीवन ।
स्थगित हो जाता है जीवन ।
अपने बोये बीज का
अंकुरित होना,
अपने सींचे
पौधों पर फूल खिलना,
मुरझाए मन में
बो देता है मुस्कान ।
खिल उठता है अंतर्मन ।
फिर गुनगुनाने लगता है जीवन ।
जीवन का सदा ही
अभिनंदन ।
अभिनंदन ।
बेहतरीन रचना नुपुर जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधाजी ।
हटाएंआपके बगीचे में भी फूल खिले होंगे ।
आपका भी दिन होगा बेहतरीन !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-12-2018) को "द्वार पर किसानों की गुहार" (चर्चा अंक-3174) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
हार्दिक आभार राधा जी ।
हटाएंसबके मन में खुशी के फूल खिलें ।
और खिलते रहें ।