रविवार, 5 फ़रवरी 2017

वर दे माँ !


माँ सरस्वती वर दे !
मन के मौन स्वर
मुखर कर दे !
वर दे !

वरद हस्त
शीश पर रख दे !
मस्तक पर
जिजीविषा का तिलक कर दे !
आत्मबल का चन्दन लेप दे !
स्वाभिमान लिख दे !
वर दे !

भवितव्य का सामना करने का
साहस दे माँ !
भाग्य को बदलने का
मनोबल दे माँ !
संघर्ष में सुख खोजने की
दृष्टि दे माँ !
विषम परिस्थितियों को
अनुकूल बनाने की
शक्ति दे माँ !
बालपन की
सहज बुद्धि दे माँ !

और यदि कुछ भी ना देना चाहे !
तो जो है उसे स्वीकारने
और सँवारने का
संकल्प दे माँ !

प्रस्तर से प्रतिमा गढ़ने की प्रतिभा ..
हर हार को
फूलों के हार का उपहार
समझने की
सरलता दे माँ !

वर दे माँ !
आशीष दे माँ !
जीवन के मौन स्वर
मुखर कर दे माँ !
अंतर की ज्योत
प्रखर कर दे माँ !
आशीष दे माँ !
माँ सरस्वती वर दे माँ !


2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रस्तर से प्रतिमा गढ़ने की प्रतिभा ..
    हर हार को
    फूलों के हार का उपहार
    समझने की
    सरलता दे माँ !
    बहुत सुन्दर

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  2. As usual amazing article .... really fantastic .... Thanks for sharing this!! :) :)

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