यूँ तो
कोई बंधन नहीं।
ऐसा कोई
नियम नहीं।
इसलिए ,
तुम बाध्य नहीं कि
अपनी बहन की राखी,
ज़्यादा देर तक
या
कई दिनों तक
बांधे रखो।
पर एक बात है।
अच्छा लगता है,
जब अपना भाई
पहने रहता है ,
कलाई पर राखी ,
कई दिनों तक।
शायद उसे अहसास है ,
बहन ने कितने जतन से
चुनी है राखी उसके लिए।
बरस भर बाट जोही है ,
आस पाली है
इस दिन के लिए।
मन में प्रार्थना संजोये ,
दुकानों की कितनी
फेरियां लगा के
ढूंढी है राखी
सही वाली . .
जिसमें . .
रेशम तो होना ही चाहिए !
रंग भी चोखा चाहिए !
और मंगल चिन्ह सारे
होने चाहिए !
राखी पर
श्रीफल , मंगल कलश
सतिया , ॐ और
मौली की डोरी
तो होनी ही चाहिए !
आखिर सबसे सुन्दर राखी
साध है बहना की !
और बनी - बनायी राखी
जब मन को न भाए ,
बाज़ार के रंग फीके पड़ जायें ,
तब ख़ुद अपने हाथों से
बहन बनाती है राखी।
वो जो राखी में
पोती है मोती ,
पिरोती है मन के
भावों को भी।
इतने स्नेह और जतन से
बाँधी गई राखी
जब भाई
अपनी कलाई पे
बड़े ही गर्व से
पहने
इतराते डोलते हैं . .
बहुत अच्छा लगता है।
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