जब भी
मेरी बेटी
वायलिन बजाती है ..
आसपास की
हर गतिविधि
लयबद्ध
हो जाती है ।
दूध का उफ़ान
ठंडा हो जाता है ।
घिर्र - घिर्र करता पंखा
शांत हो जाता है ।
जब भी
मेरी बेटी
वायलिन बजाती है ..
बाल्टी में
नल से
पानी का गिरना ..
बाल्कनी के
पौधों पर उगे
फूलों का हिलना ..
खिड़की पर टंगे
पर्दों से बंधे
घुंघरुओं का छनकना ..
मंदिर के शिखर से
बंधी पताका के
पट का रोमांचित होना ..
पूजा घर के आले में
प्रज्ज्वलित दीपक की
लौ का कंपित होना ..
नन्हे नौनिहाल का
घुटनों - घुटनों
धीरे - धीरे सरकना ..
झुर्रियों से भरे
दादी के चमकते चेहरे
का हौले से मुस्कुराना ..
.. एक लय में होता है ।
मेरे भीतर
एक नदी
एक लय में
निरंतर
बहती है ।
beautiful lines..
जवाब देंहटाएंthank you @ canary :)
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