मेहनत के बाज़ार में
हुनर का सिक्का चलता है,
जब किस्मत की बोली लगती है
हुनर का डंका बजता है .
सर्कस की बड़ी नुमाइश में
बाज़ीगर खेल दिखाता है,
अपने फ़न से हरफ़नमौला
दुनिया लूट ले जाता है .
तक़दीर किसी के बस में नहीं
पर जीना जिसको आता है ,
अपने हाथों की लकीरों को
वो अपने आप बनाता है .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ अपने मन की भी कहिए