कुल जमा पाई
पुरानी फोटो
पुरानी डायरीयों
पुरानी चिट्ठियों
पुरानी स्मृतियों
पुरानी सारी बातों को,
जोड़ कर,
घटा कर,
हिसाब लगाया है ...
अतीत का बड़प्पन
भविष्य का बोध
कुल जमा पाया है.
जो हासिल हुआ है,
माथे से लगाया है.
noopur bole
बहुत खुब
जवाब देंहटाएंयादोँ के झरोखे से,प्यार कि दरीया मे,डुबते जाईये यही जिन्दगी है ।
इस प्रस्तुती के लिए आभार ।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का इंटरव्यू पढने के लिए यहाँ क्लिक करेँ >>>
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