संभावना
मन की मिट्टी को
सूखने मत देना .
बंजर भूमि पर
कुछ नहीं उगता .
सींचते रहना
मन की मिट्टी को
धीरे - धीरे
आंसुओं से,
ओस की बूँद जैसे
पावन विश्वास से .
आँख जब नम होगी,
किसी के मन की
पीड़ा समझेगी ,
तब ही
भावुक मन की
उर्वर भूमी से
फूटेगा अंकुर.
अंततः
फूल
खिलें ना खिलें,
बड़ा होगा
नन्हा पौधा,
फूल खिलने की
संभावना लिए .
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