बुधवार, 24 जनवरी 2024

राम



कण कण में बसते सिया राम 

जन जन के मानस में राम 


बजरंग बली के हिय में राम  

भ्राता भरत के तप में राम 


शबरी की शरणागति में राम 

केवट की निश्छल भक्ति में राम 


जटायु के बलिदान में राम 

विभीषण के समर्पण में राम 


नल नील के कौशल में राम 

वानर सेना के बल में राम 


संकल्प की शुचिता में राम 

सत्कर्म की दृढ़ता में राम 


भाव की अविरल धारा राम 

भक्त का एकमात्र अवलंब राम 



~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

चित्र अंतरजाल से साभार 

गुरुवार, 18 जनवरी 2024

उत्तरायण


समय ने करवट ली ,

सूर्य ने दिशा बदली,

धूप मेहरबान हुई, 

पवन कम सर्द हुई । 

सृष्टि की तंद्रा टूटी ।


खेतों में खुशहाली !

पकी फसल झूमती ,

रंग चटकने लगे,

ऊष्मा भरते हुए 

धरती की गोद में ।


मेरे मन की उमंग

बन गई उङती पतंग !

सतरंगी सपनों सी,

छा गई गगन पर 

बिंदियाँ हर रंग की !


गोटियाँ खेल की ,

सरपट दौङने लगीं !

अबके होङ मच गई  !

चंदा वाली ऊँची गई 

पर हरी पिछङ गई!


मगर कोई बात नहीँ!

ये तो बस एक जंग है !

कहीं बज रही चंग है !

पतंग उङाता है कोई !

मगर लूटे कोई और है ! 


डोर से बंधी हुई 

हर एक पतंग है !

फिर भी वो इठलाती

नागिन-सी सरसराती

चली सूर्य की ओर है ।


आँखोँ में आँखें डाल 

पूछती कई सवाल!

अंक में भर उजास 

थिरकती परांदी सी

घूम रही गाँव-गाँव ।


लंबी चोटी वाली

बार-बार बल खाती

करती हुई मुनादी 

तिल-गुङ मिलेगा उसे

जो बोल मीठे बोल दे !


उङा ले पतंग जी भर,

बादलों से भी ऊपर,

जो नज़रें मिला ले, 

धूप के रथ पर बैठे

सजीले सूरज से !


की थी जो मनौती,

दी थी जो चुनौती,

आसमान रंगने की ।

जीत ही ली बाज़ी !

रुपहले इंद्रधनुष से ! 


धरती के इस छोर से 

नभ के उस छोर तक

हर रंग की पतंग है !

डोर हाथ में हो अगर

आकाश कहाँ दूर है !


+++++++++++++++++++++++++++++

चित्र : अंतरजाल से साभार 


शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

सदाचार का बल

साहस और समर्पित भावना

अपने मानस में रोपना,

अभ्यास से सींचना,

और संकल्प से साधना

जीवन का लक्ष्य ..

परोपकारः पुण्याय ।


कई बार रोकेगी दुविधा

क्या सही था..या ग़लत था,

कौन बताएगा ?

कर के देखना ..

हाथ जलेगा जब ..तब

रोटी सेंकना आएगा,

गर्म तवे पर ।

डरना मत !

रुकना मत !

यही जीवन सूत्र 

काम आएगा ।


कमज़ोर समझ ना पाएगा ।

समझा तो कर ना पाएगा ।

इसीलिए तन को सुदृढ़ करना,

मनोबल आप आएगा ।

कवच शिक्षा का सदा

करेगा तुम्हारी रक्षा ।

किंतु लक्ष्य तक तुम्हें पहुँचाएगा

एकमात्र विवेक तुम्हारा ...

और कर्मठ जीवन।


स्वामीजी आपका उद्बबोधन 

जितना मन में अटक गया था

मानो पेङ पर अटकी एक पतंग,

यदि उतना भी आचरण कर पाए 

तो हम पा सकेंगे आत्मिक बल..

दीजिए आशीर्वाद का संबल ।


---------------------------------------------------------

चित्र/डाक टिकट अन्तर्जाल से साभार