हर नया दिन
एक फूल की तरह
खिलता है,
और कहता है . .
उठो जागो !
बाहर चलो !
शुरू करो
कोई अच्छा काम,
लेकर प्रभु का नाम ।
आगे जो होगा
सो होगा,
अभी तो
कोशिश करो,
बन जाएं बिगड़े काम ।
देखो,
मुझे भी पता है ।
कुछ देर की छटा है ।
जो खिलता है
मुरझाता है ।
पर जब तक
खिलता है,
मुस्कुराता है ।
भीतर जंगले के
गमले में,
या मिट्टी की क्यारी में ।
जूड़े में सजे,
या अर्पित हो
देव के चरणों में ।
सेहरे में झूले
या आप ही
मिट्टी में मिल जाये ।
चाहे किताबों में
रखा सूख जाए ।
फूल जब तक
खिलता है,
मुस्कुराता है ।
फिर स्मृति में
सुगंध बन बस जाता है ।
हर नया दिन
फूल की तरह
खिलता है ।
तुम भी खिलो
जीवन के हर पल में ।
सुगंध बनो,
बसो सबके मन में ।