शनिवार, 23 अप्रैल 2011


मेहनत के बाज़ार में   
हुनर का सिक्का चलता है,      
जब किस्मत की बोली लगती है
हुनर का डंका बजता है .


सर्कस की बड़ी नुमाइश में
बाज़ीगर खेल दिखाता है,
अपने फ़न से हरफ़नमौला
दुनिया लूट ले जाता है .


तक़दीर किसी के बस में नहीं
पर जीना जिसको आता है ,
अपने हाथों की लकीरों को
वो अपने आप बनाता है .



शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011


जिसको जितना प्यार करो
वो उतना दुःख दे जाता है 

सच बोलो सबका कहना है
सच सहना किसको आता है 

जो शब्द नहीं कह पाते हैं 
वो चुप रहना कह जाता है 

जब सूरज भी बुझ जाता है
इक दिया उजाला लाता है

सीखो जितना भी सीख सको
अपना हुनर ही काम आता है 

जो बातें ख़ुद न सीख सके
वो वक़्त हमें सिखलाता है

 

रविवार, 17 अप्रैल 2011

चुपचाप 

आंकड़े
बहुत सारे
आपको मिल जायेंगे ,
जो बताएँगे ,
लोग कितने
दिल का धड़कना
रुक जाने से ,
वक़्त - बेवक्त मर जाते हैं .

पर कोई नहीं जान पाता
कि दिल टूटने से      
कौन कब मर जाता है .

क्योंकि
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं होती .
आवाज़ क्या ..
आहट तक 
नहीं होती .

चुपचाप 
दिल धड़कता रहता है .
और दुनिया का झमेला चलता रहता है .

दिल टूटने का
सिर्फ उसको पता
चलता है ,
जिसका 
दिल टूटता है .

क्योंकि
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं होती .
आवाज़ क्या ..
आहट तक 
नहीं होती .

चुपचाप 
दिल धड़कता रहता है .
और दुनिया का झमेला चलता रहता है .

दिल का टूटना
एक गुम चोट होती है . 
किसी को नहीं चलता पता
और तमाम दुनिया
तबाह होती है .

नब्ज़ चलती है .
उम्र दराज़ होती है .
पर ज़िन्दगी ?
ज़िन्दगी बेहोश ..
बस .. सांस लेती है .

शायद कभी 
आये कोई ,
मन की पाती
बांचे कोई ,
बात अनकही
समझ जाये कोई.
अपनाये, 
नयी ज़िन्दगी दे जाये .
अपने आंसुओं से
मुरझाई 
मन की मिटटी
सींच जाये कोई . 
 
शायद
कभी कोई आये
फिर से जीना सिखाये ,
जीने की वजह दे जाये .
बहते आंसुओं को पिरो कर
नदी की तरह
आत्मसात करना
और बहना 
सिखा जाये .