होगा वही
जो
होना होगा .
अक्सर बुरा होगा .
फिर कुछ अच्छा होगा .
जो भी होगा
ज़रूर उसका
कोई
मतलब होगा .
अंधेरा होगा
तो
उम्मीद का
दीया जलेगा .
मेहनत का
सितारा चमकेगा .
उजाला होगा
तो
जीवन का
कोना - कोना
साफ़-साफ़ दिखेगा .
समय जैसा भी होगा ..
हमारी सोच का प्रतिबिंब होगा .
शनिवार, 19 सितंबर 2009
शुक्रवार, 18 सितंबर 2009
चलो आज
आज चलो इस पेड़ के नीचे
बैठें और चैन की बंसी बजायें .
हरी दूब पर.. गुनगुनी धुप में
दूधिया बादल की छतरी लगाये,
खुली हवा को गले लगायें .
खिलते फूल पंख तितली के
सृष्टि ने कितनी लगन से सजाये .
खिलते - खिलते ... मुरझाने से पहले
रंग - सुगंध के त्यौहार मनाये .
फिर कांटे चुभने के भय से
क्यूँ इस क्षण का आनंद गँवायें ?
हरी घास पर नंगे पाँव
आओ चलो दौड़ लगायें .
बच्चों की टोली के संग - संग
रंग बिरंगी पतंग उड़ायें .
शनिवार, 25 जुलाई 2009
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