सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

उनके कहे पर


बापू की स्मृति में

शास्त्री जी की याद में

चलो हम भी 

कुछ कर के देखें,

उनके कहे पर

चल कर देखें,

क्या सच में

कुछ बदलता है ?

आसपास अपने,

या अपने भीतर ।

बातों से बेहतर ।

अपने बूते पर ।



शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

अपनेपन की भाषा है हिंदी


हिंदी सह्रदय सहचरी ! बहन मुँहबोली !
स्नेह पगी अभिव्यक्ति इसकी रसभरी !
बिना सीखे भी जो बोलनी आ जाती !
बोलते-सुनते ही हिंदी राजभाषा बनी !
वैज्ञानिक लिपि देवनागरी,मानते सभी,
जैसी बोली जाती, वैसी लिखी जाती।
समृद्ध साहित्य की बाँध गठरी चल दी,
अब दुनिया भर में करती चहलकदमी ।
अपनेपन की भाषा ठहरी अपनी हिन्दी 
अपने रास्ते ख़ुद बनाती भाषा एक नदी।


रविवार, 3 सितंबर 2023

चमकता रहे चंद्रमा



विक्रम पहुँच गया ननिहाल !
चंद्रयान पर होकर सवार !
दूर बसे चंदा मामा के पास !
प्रज्ञान को लेकर अपने साथ !
देने भारत माँ का पैगाम !
खुश हुआ चंदा मामा आज !
भारत से ठहरा रिश्ता ख़ास !
किसे न भाता दूधिया चाँद !
अब चंदा मांगेगा जब लाल
फ़ोन घुमा देगी माँ तत्काल !
करवा चौथ हुआ आसान !
नाम लो और हाज़िर चाँद !
कवि की कलम का श्रृंगार !
शब्दों में जङे चंद्र अलंकार !
चाँद बाली पहने नई दुल्हन !
चाँद से मुखङे पर जां क़ुर्बान !
शिव जटा पर सदा विराजते चंद्र !
चंद्रमा देख हो गणपति पूजन !
चाँद बताशे का मिले प्रसाद !
चाँद की लोरी सुनाते हैं सब !
चलो चंद्रलोक की सैर करें हम !
लहरा रहा जहां देश का परचम !
कहानियों से चंदा मत होना गुम !
चाँदनी ओढ़ कर ही सोते हैँ हम !

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छायाचित्र : अनिका शांडिल्य 


शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

एक नदी बहती है मेरे भीतर कहीं


एक नदी बहती है कल कल
हम सबके मन के भीतर कहीं,
अपना रास्ता तराशती हुई,
दो पाटों को जोङती-घटाती,
सदियों का हिसाब-किताब 
चुकता करती जाती निरंतर ..
बकाया किसी का नहीं रखती ।

कभी पलट कर नहीं देखती नदी,
सब कुछ बहा ले जाती नदी ।
फिर हम क्यों पालें मनमुटाव
करें अपनों से ही दुराव-छिपाव ?
क्यों रोकें बहती नदी का बहाव
और खेते रहें टूटी हुई नाव ?
क्योंकि समय नहीं करता लिहाज ।


वक्त बहुत जल्द जाता है बीत,
पीछे छूट जाते हैं मनमीत।
इससे पहले कि जाए उतर
घाट का पानी ..क्यों न हम
कर लें बूँद-बूँद का आचमन,
जिससे छलकता रहे क्षीरसागर 
और रिश्तों की ज़मीन रहे नम ।



सोमवार, 31 जुलाई 2023

In Search Of A Red Cardinal


That day I saw a red Cardinal
Sitting on the garden chair
Throwing a sombre glance
At things growing around,
As if casting a spell ..
I looked on spellbound
Just a few seconds ..
And the Cardinal flew away.
It left me wondering if 
It was looking for something..

Since then I keep looking out
For a close look at the bird.
Sometimes I see a red flame
Flying past the green trees
Or neatly mowed lush lawns,
Then the vanishing act 
Amidst the criss cross shadows
Of trees swaying in the wind.

How I pine to meet the red coat
Always flashing past quickly
Like a fleeting precious memory.
Never too close never too far
Keeps alive the hope in my heart.
To meet some day and shake hands
With the evasive red Cardinal 
And ask if he too is looking for
The scintillating colours of life
May be hidden in the deep forests
In the sparkling water of rivers
In the flight of an eagle flying high
In the Robin hopping across the lane
In the wanderings of a blue Jay or
Perhaps in the lively songs birds sing.







शनिवार, 24 जून 2023

संजीवनी


जंगली पौधों 
और कांटों के 
बीचोंबीच जब 
तमाम नाउम्मीदी को
झुठला कर,
सूखी टहनियों पर
एक दिन अनायास 
खिलता है एक
श्वेत गुलाब!
उस खुशी को 
बयान करना
है नामुमकिन ।
जबकि इस गुलाब का
खिलना है प्रमाण, 
कि उम्मीद से बेहतर
कोई संजीवनी नहीं ।
निरंतर प्रयास के आगे
कुछ भी असंभव नहीं ।

मंगलवार, 6 जून 2023

पथिक रहना सचेत

बस यहाँ से 
पगडंडी 
मुङ जाती है ।
अब यहाँ से 
शायद तुम्हें 
अकेले ही 
आगे जाना पङे ।
क्योंकि 
यह पगडंडी 
तुम्हारे भीतर
उतरती है,
जहाँ सिर्फ़ तुम
जा सकते हो ।
पर फ़िक्र 
किस बात की ?
जहाँ किसी का
नहीँ प्रवेश,
वहाँ भी
केशव तो हैं ही !
जिन्होंने 
परीक्षित की
आप ही
रक्षा की,
और अनर्थ
ना होने दिया ।
वे ही तो
बिना कहे
जान लेते हैं
जिय की बात ।
फिर तुम 
कहो न कहो
किसी से,
आराध्य को तुम्हारे 
सब पता है ।
प्रति पल तुम पर
नज़र है,
वंशी वाले की ।
पुरानी आदत है 
नटवर नागर की
नचाने की ,
जब तक नाचना
आ न जाए !
सौगंध है तुम्हें अपने
गिरिवर धारी की !
विपदा से विचलित
भयभीत मत होना !
जब सँभले न नाव
सौंप देना पतवार
खेवनहार के हाथ ।
साहस मत खोना !
लेना शरण चरणों में 
सुदर्शन चक्र धारी के !
जाने क्या लीला है
मोरमुकुट वाले की !
अनुभव अनुभूति से जताने की
मथे बिना मिलता नहीं माखन ।
मंथन बिना नहीं मिलता अमृत ।