बस मुट्ठी भर की गौरैया !चुन-चुन लाती खुशियाँ !चुग चावल के दाने चार,चोंच में भर दो बूँद जल,करती घर का निरीक्षण,गर्दन घुमा कर बार-बार ।देख जल से भरा सकोरा,छम-छम नाचे मन मयूरा !ठुमक-ठुमक ता ता थैया !छपाक-छपाक खूब नहाना !मन चंगा तो कठौती में गंगा !तिनके जोङ नीङ बनाना !चारों दिशाओं में चहचहाना !
मंगलवार, 18 मार्च 2025
मुट्ठी भर की गौरैया
शुक्रवार, 14 मार्च 2025
भक्त का मान
इस बार होली मेंऐसी जले होलिका,अग्नि में भस्म हो जाए !दुराचार, दुर्भावना,छल, प्रपंच मिथ्या,जङता,कायरता।एकनिष्ठ प्रह्लादभंक्ति में लीनसर्वथा रहे अछूता ।रंग सारे घुलमिलरचें अनुरागी रंग,भाव-भीने राग,रसास्वाद जीवन का ।यदि निर्मल हो मन..समर्पण यदि निर्द्वंद ,तप न होता भंग ।आप ही आते हैं भगवानभक्तों का रखने मान ।
छवि साभार: श्री रंग जी मंदिर, वृंदावन।
शनिवार, 25 जनवरी 2025
भारत
देश सिर्फ़काग़ज़ पर खिंचीलकीरें नहीं,धमनियों में बहतीपहचान है ।तिरंगे के रंगसिर्फ़ रंग नहीं,करोङों दिलों कीआवाज़ है ।
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