इस बार होली मेंऐसी जले होलिका,अग्नि में भस्म हो जाए !दुराचार, दुर्भावना,छल, प्रपंच मिथ्या,जङता,कायरता।एकनिष्ठ प्रह्लादभंक्ति में लीनसर्वथा रहे अछूता ।रंग सारे घुलमिलरचें अनुरागी रंग,भाव-भीने राग,रसास्वाद जीवन का ।यदि निर्मल हो मन..समर्पण यदि निर्द्वंद ,तप न होता भंग ।आप ही आते हैं भगवानभक्तों का रखने मान ।
छवि साभार: श्री रंग जी मंदिर, वृंदावन।
💐🌸🏵🌹🥀🌺🌻🌼🌷⚘️ सुंदर..
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