शुक्रवार, 14 मार्च 2025

भक्त का मान


इस बार होली में
ऐसी जले होलिका,
अग्नि में भस्म हो जाए ! 
दुराचार, दुर्भावना,
छल, प्रपंच मिथ्या,
जङता,कायरता।
एकनिष्ठ प्रह्लाद 
भंक्ति में लीन
सर्वथा रहे अछूता ।
रंग सारे घुलमिल
रचें अनुरागी रंग,
भाव-भीने राग,
रसास्वाद जीवन का ।
यदि निर्मल हो मन..
समर्पण यदि निर्द्वंद ,
तप न होता भंग ।
आप ही आते हैं भगवान 
भक्तों का रखने मान ।


छवि साभार: श्री रंग जी मंदिर, वृंदावन। 




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