रास्तों पर आसपास
फूलने लगे हैं अमलतास ।
रास्ते हो जाते हैं आसान।
देख कर सुनहरी झालर ।
पैदल चलने वाले लोग
पसीना पोंछते एक ओर
ठहर कर ढूँढते हैं जब छाँव,
हिला कर हाथ बुलाता है पास
झूमर जैसा अमलतास !
उतर आता है ज़मीं पर
उस पल स्वर्ग से नंदनवन !
तपती धूप का चंदन
सुनहरा अमलतास !
दिलाता याद, जगाता आस !
अभी तो है दूर बहुत मुकाम
पर मुश्किल रास्तों की राहत
फिर मिलेगा झूमता अमलतास !