सोमवार, 14 अप्रैल 2025

फूल रहा अमलतास



रास्तों पर आसपास 
फूलने लगे हैं अमलतास ।
रास्ते हो जाते हैं आसान।
देख कर सुनहरी झालर ।
पैदल चलने वाले लोग
पसीना पोंछते एक ओर
ठहर कर ढूँढते हैं जब छाँव,
हिला कर हाथ बुलाता है पास
झूमर जैसा अमलतास !
उतर आता है ज़मीं पर 
उस पल स्वर्ग से नंदनवन !
तपती धूप का चंदन
सुनहरा अमलतास !
दिलाता याद, जगाता आस !
अभी तो है दूर बहुत मुकाम
पर मुश्किल रास्तों की राहत
फिर मिलेगा झूमता अमलतास !

शनिवार, 29 मार्च 2025

नव संवत्सर अभिनंदन


नव संवत्सर के आगमन पर

नव संकल्प से होकर विभूषित 

समवेत स्वर में करें अभिवादन 

समर्पित भाव से हो शुभारंभ 


हर दिन होता है एक नया दिन

नये सिरे से होती है यात्रा आरंभ 

क्षितिज पर उदय होता नया सूर्य 

दिग-दिगंत किरणों की वंदनवार  


पंखुरियों की ओट ले खिले फूल

पंछी चहके, कल-कल बहा जल

पकी फसल, पवन छेङे मृदु मृदंग

भ्रमर चकित सुन सृष्टि का अनुनाद 


बोएं नई फसल, नया पौधा रोप,

नव अनुसंधान, नवाचार सत्कार 

रचें कला के नये प्रसंग, प्रतिमान

प्रति क्षण नई संभावना का आगार