शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
समय लेता है करवट हर बरसजैसे मुट्ठी से रेत जाए फिसलहर बीता पल समय का स्पंदनलहर-लहर बहता नदी का जलघूम-फिर कर फिर लौटेगा कलक्षितिज तक नाव अपनी ले चलआगे न पीछे समय के साथ चलअपने बल पर मुकाम हासिल कर
समय लेता है करवट हर बरस
जैसे मुट्ठी से रेत जाए फिसल
हर बीता पल समय का स्पंदन
लहर-लहर बहता नदी का जल
घूम-फिर कर फिर लौटेगा कल
क्षितिज तक नाव अपनी ले चल
आगे न पीछे समय के साथ चल
अपने बल पर मुकाम हासिल कर
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