सारा जग जाग रहा
ताक रहा ठगा सा,
रजत रुप चंद्रमा का
शरद पूर्णिमा का !
आएंगी लक्ष्मी माँ
कलश लिए अपना,
चंद्रकिरण ज्योत्सना
कर रही उपासना ।
माँ के पदचिन्ह का
दरस यदि हो पाना
शुभ अल्पना आंकना
मंगल दीप बालना ।
जो जागता होगा
जाग्रत जिसकी चेतना,
अमृत आस्वादन वरेगा
वही श्री संपन्न होगा ।
शरद पूर्णिमा का सुंदर चित्रण !
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 8 अक्टूबर 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
सुंदर
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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