गुरुवार, 28 अगस्त 2025

प्रथम तुम्हारा ध्यान


मुंबई में एक समय 

ऐसा भी होता है जब,

दिन-रात स्मरण ध्यान 

बप्पा का होता है ..

सूर्य उदय होता है

आनंदित हो गाता अभंग,

टाँकता नील नभ पर

किरणों की वंदनवार ।

स्वर्णिम बादल कलश समान 

छलकाते सोने सा उजियारा ।

आ रहे हैं मूषक पर सवार 

प्रथम पूज्य गौरी सुत गजानन !

मन में हर्ष अपार,ऊर्जा का संचार।

दूर से पास आती मध्यम ध्वनि

ढोल-ताशों की लगातार..

हो रही नगर में जय जयकार!

कुछ दिन तक क़दम-क़दम पर

देखो जिस ओर मनाता उत्सव 

सारा शहर कर रहा पूजा वंदन।

हर मोङ पर मंडप, हर घर पर,

विघ्नहर्ता गणपति विराजमान ।

इन दस दिनों में हर प्रहर हर क्षण 

शुभ संकल्प, कार्य का उत्तम योग ।

सोते-जागते गूँजे कानों में जयघोष ।

मन में बप्पा का स्मरण और ध्यान

महाराष्ट्र के मर्म में मनोमय विद्यमान ।



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