मुंबई में एक समय
ऐसा भी होता है जब,
दिन-रात स्मरण ध्यान
बप्पा का होता है ..
सूर्य उदय होता है
आनंदित हो गाता अभंग,
टाँकता नील नभ पर
किरणों की वंदनवार ।
स्वर्णिम बादल कलश समान
छलकाते सोने सा उजियारा ।
आ रहे हैं मूषक पर सवार
प्रथम पूज्य गौरी सुत गजानन !
मन में हर्ष अपार,ऊर्जा का संचार।
दूर से पास आती मध्यम ध्वनि
ढोल-ताशों की लगातार..
हो रही नगर में जय जयकार!
कुछ दिन तक क़दम-क़दम पर
देखो जिस ओर मनाता उत्सव
सारा शहर कर रहा पूजा वंदन।
हर मोङ पर मंडप, हर घर पर,
विघ्नहर्ता गणपति विराजमान ।
इन दस दिनों में हर प्रहर हर क्षण
शुभ संकल्प, कार्य का उत्तम योग ।
सोते-जागते गूँजे कानों में जयघोष ।
मन में बप्पा का स्मरण और ध्यान
महाराष्ट्र के मर्म में मनोमय विद्यमान ।
गुरुवार, 28 अगस्त 2025
प्रथम तुम्हारा ध्यान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ अपने मन की भी कहिए