कैसे बीतेगी लम्बी काली रात ?
जागते रहना है, तो कहानी सुनो ।
औरों को भी सुनाओ ।
पहले भी तुमने सुनी है ।
आज भी सच वही है ।
भोजपत्र पर लिखी
तुमने पढ़ी थी कथा जो,
आज प्रत्यक्ष देख लो,
अच्छी तरह समझ लो ।
हिरण्यकश्यप आतंकी दैत्य ,
भक्त प्रह्लाद जन साधारण,
नरसिंह भगवान से प्रेरित
भारतीय सशस्त्र सेना बल ।
नारायण के उपासक जन
अपने-अपने जीवन में मगन,
जैसे शांत नदी बहती कल-कल
सरोवर में ज्यों खिले हों कमल ।
हिरण्यकश्यप दुष्ट,आतंक का सौदागर,
उसे हुआ ना सहन, चाहिए था वर्चस्व।
बार-बार किया घात लुक-छिप कर ।
तत्पश्चात कर दी सारी सीमा पार ।
धैर्य धर प्रह्लाद ने समझाया बार-बार..
किंतु सहनशक्ति का तब टूटा बांध
जब निहत्थों पर किया गया प्रहार !
धर्म पूछ-पूछ कर किया नरसंहार !
जैसे भक्त प्रह्लाद के पुकारने पर
प्रगट हुए थे जङ खंबे से भगवान
और किया था अहंकारी का संहार..
ठीक वैसे ही भारत की सेना ने
ताल ठोक कर दिया मुँहतोङ जवाब !
बांहें पसार भारत ने किया सत्कार,
यहाँ जो भी मित्र भाव से आया !
पर डर कर कभी न सिर झुकाया !
कायरों ने पीठ पीछे किया घात,
मारा निहत्थों को, उजाङा सुहाग !
भारत न भूलेगा ये अक्षम्य अपराध !
भक्त प्रह्लाद पर सदा हरि का वरदहस्त !
हर योद्धा हमारा ले चुका नृसिंह अवतार !
चुकाएगा हर आततायी सिंदूर का मोल !
कोई ना लांघे मर्यादा की रेखा भीतर-बाहर !
सर्वोपरि जगत में न्याय और सम्मान, रहे ध्यान !
चित्र अंतरजाल से साभार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में मंगलवार 13 मई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंरचना जोङने के लिए धन्यवाद। सभी रचनाएँ पढ़ीं। सभी, जैसे विभिन्न शाखाएँ एक तने से जुङी ..
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकार जी । नमस्ते ।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना ! अत्याचारी आतातायी का अंत अवश्य निर्धारित है , अपने पापकर्म से प्रभु के न्याय से वह बच नहीं सकते ।
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