रविवार, 19 जनवरी 2025

चाँद क्यों लागे फीका ?

 

कुछ फीका

कुछ हकबकाया सा

मुँह लटकाए 

बङी उहापोह में

सकुचाता सा

निकला चाँद ।


आंखों में लाल डोरे

धुंआ- धुंआ रात में

हैरान देख हर जगह

ड्योढ़ी,छत,झरोखों में

लिए पूजा का थाल

निर्जल व्रत-उपवासी 

माँ ओढ़े ओढ़नी 

लगा कर टकटकी

करती इंतज़ार..

कब आएगा चाँद ..


धन्य इस माँ की निष्ठा

और व्रत संकल्प  !

बच्चे रहें सलामत..

इस एक आस में 

सहती हैं कितना कष्ट !


बच्चों तुम भी ज़रा 

कुछ कष्ट उठाओ !

मटमैले चाँद को

तनिक चमकाओ !

हवा में घुले ज़हर को

कम कर के दिखाओ!

उजला-सा चाँद बताशा

माँ के लिए उगाओ !

चाँद को तनिक हँसाओ !

मुँह मीठा करवाओ !

माँ को शीश नवाओ !


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