मंगलवार, 21 मई 2024

चाय गरम चाय !


चाय गरम चाय !

सुनते ही महाराज !

आँख खुल जाय

नींद भग जाय !


जो चर्चा की जाय

पी-पी कर चाय !

झट्ट समझ में आय

वेद वाक्य बन जाय !


पास में रख कर चाय

पढ़ाई जब की जाय !

ज्ञान चक्षु खुल जाएं !

पाठ याद हो जाएं !


बारिश में हों भीजे !

छतरी थामे - थामे !

टपरी की चाय पीजे !

परम तृप्ति मिल जाए!


हाय, बाय, और चाय !

तीनों में प्राण समाय !

समीकरण बन जाय !

यह सुख बरनौ न जाय !


ट्रेन स्टेशन पर जब आय !

मिट्टी के कुल्हङ में चाय !

सारी थकान उतर जाय !

सफ़र सुहाना हो जाय !


चाय ! चाय गरम चाय !

सुनते ही जान आ जाय !

चुस्की से चुस्ती आय !

सुस्ती की दूर हो बलाय !




7 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा l चाय बेच कर देखिए क्या पता कभी प्रधानमंत्री हो जाएं :)

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  2. बहोत खूब नुपुरजी, ये कविता मैने चाय के साथ पढ ली,क्या खूब लगी--सचिन प्रभुणे

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" बुधवार 29 मई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति चाय का मर्म चाय पीने वालों से पूछो आखिर कुछ तो विषेश है चाय में।

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  5. वाह चाय कुछ तो विषेश है तुझमें

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