आज हुआ मंगल प्रभात ।धूप की जब सुनी पदचापमन में बरबस जागा कौतूहल,किस कारण भीतर तकहुआ किरणों का पदार्पण ।आले में विराज रहा थाएक चित्रांकन अनुपम,प्रभु श्री रामचंद्र सीता मैयाऔर लखन लाल जी अनुज।सूर्य रश्मि ने किया वंदनभाल पर रघुवीर के सूर्य तिलक !पा कर स्पर्श प्रभु राम काधूप हुई संजीवनी बूटी सम ।घर-घर जाकर फिर किया मंगल,जयघोष से जी उठा सकल भुवन ।
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सविनय आभार सहित
प्रेरक कलाकृति : सियाराम और लखन लाल जू
विधा : मिश्रित भारतीय लोक कला
चित्रकार : श्री करन पति
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, जोशी जी. नमस्ते.
हटाएंआज हुआ मंगल प्रभात ।
जवाब देंहटाएंधूप की जब सुनी पदचाप
मन में बरबस जागा कौतूहल,
किस कारण भीतर तक
हुआ किरणों का पदार्पण ।
सादर वंदन
सविनय आभार, सखी.
हटाएंकभी-कभी ये क्षणिक आभास
छोड़ जाते मन पर अमिट छाप
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 18 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आपका हार्दिक आभार,रवीन्द्रजी.
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद. नमस्ते.
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअति सुंदर लिखा
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