शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
बापू की स्मृति में
शास्त्री जी की याद में
चलो हम भी
कुछ कर के देखें,
उनके कहे पर
चल कर देखें,
क्या सच में
कुछ बदलता है ?
आसपास अपने,
या अपने भीतर ।
बातों से बेहतर ।
अपने बूते पर ।
वाह
शुक्रिया, ओंकारजी.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 02 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
धन्यवाद,सखी.इस अंक की सारी रचनाएँ अच्छी लगीं.
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद, अभिलाषा जी.
बहुत ख़ूब …
शुक्रिया.
सुन्दर
धन्यवाद, हरीश जी.
कुछ अपने मन की भी कहिए
वाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, ओंकारजी.
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 02 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,सखी.इस अंक की सारी रचनाएँ अच्छी लगीं.
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद, अभिलाषा जी.
हटाएंबहुत ख़ूब …
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, हरीश जी.
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